दर्द होता है जताते नहीं है
हम किसी को कुछ बताते नहीं है
झुक जाता है सर सबके सामने
हम खुद से नजरे अब मिला पाते नहीं है.
अकेले हो गए है
सब को खुश करने में मगन हो गए है
अपना कुछ बचा नहीं
दिल में जज्बा रहा नहीं
कहाँ जाए
किधर मूह छिपाए
अब मिलने ka किसी से मन करता नहीं
प्यार करना हमें अच्छा लगता नहीं
समझे हमारी दिक्कत भी कोई
समझे हमारे अनसु भी कोई
हसी में छिपी हजारो ख्वाहिशे है
tute पत्ते की तरह हमारे चाहते है
गुस्से में लिख रहे है यह शायरी
अश्क बह रहे है साथ में
मंजिल कहीं खो गयी है
हम रो रहे है यहाँ पे
किसी ने कुछ समझना नहीं है
हम हार गए है जहाँ से
शीशे के दिल है
टूटने को तयार है
मिटटी के घर है मिटने को तैयार है
कहीं नहीं है ठिकाना रैनबसेरे कमाल है ................................