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Sunday, 13 November 2011

saaya

"साया" (read it as fast possible)

सोया नहीं जागा हूँ ऐसे
तेरे ही धुन में खोया हूँ ऐसे
धुंडू में मुझको ही कही
पर मिलता में मुझको ही नहीं

चाहा  जो भी मिला कभी कभी
सभी हैं पर तू है कहीं नहीं
जहाँ जाएँ देखे तुझे नजर
देखी सारी गलिय देखा सारा नगर

मगर,
हैं अनजान मेरी रूह भी मुझसे
कह रही है  यह कुछ उनसे
उनसे वोह हैं जो है मेरी जिंदगी
जिनकी बाहें है मेरी बंदगी
राह सारी जिनपर जाकर खुली
मंजिल मुझे उसपर ही जाकर मिली


ख़ुशी है, बातें है, यादें है
आदत है तेरे होने की, तेरे होने की

ख्वाहिशो में चाहत तेरी
यही से शुरू होती कहानी मेरी
भरे नैना पुकारे तुझे
सुनले मुझे तू सुनले मुझे
बातें मेरी अनकही, अनसुनी
जो हो तुमसे ही
ख़तम शुरू सब ही

आ जाओ फिर से दिन करने
अंधियारी रैना दूर करने
मोती जैसी ऑंखें देखने
तरसे यह दिल बेईमान



हैं अनजान मेरी रूह भी मुझसे
कह रही है  यह कुछ उनसे
उनसे वोह हैं जो है मेरी जिंदगी
जिनकी बाहें है मेरी बंदगी
राह सारी जिनपर जाकर खुली
मंजिल मुझे उसपर ही जाकर मिली

ख़ुशी है, बातें है, यादें है
आदत है तेरे होने की, तेरे होने की

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