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Thursday 5 July 2012

conflict

"conflict"



Care | Love
मिटटी को  जितना पकड़ो उतना फिसलती है
हाथो की लकीरे हर वक़्त बदलती है
खुशनुमा सा होता है वक़्त जब भी
उसी  मोड़ पर जिंदगी रुख बदलती है....

राह में चलना है सबको ,भीड़ बहुत है 
मेरी नज़र  ढूँढती  जिसे हर पल है
कभी इधर कभी उधर
हर चेहरे में तलाशती उसको नजर  है

"मुसाफिर" की तरह चल तो दिए है 
ठिकाने की किसे खबर है
ख़ुशी हो जिसमे सबकी
उसी मंजिल की तलब है

पानी है बेरंग अब हम
इसमें मिल जाते हज़ार रंग है
किसी भी रंग में नेह्लादो हमें
हम शक्कर  की तरह मौज मस्त है

इन सभी हसी के पीछे छिपा 
एक इंसान का मन है
उलझा हुआ इतना
की समझ नहीं आता
क्या सही क्या गलत है

सही गलत के बीच लिए गए कुछ फैसले है
जिनसे बनी मेरी किस्मत है
किसका दोष है कौन बेक़सूर
सब ऊपर वाले का असर है

दिलो में कैद हज़ार ख्वाहिशे बंद है
कुछ उमीदे इन हसी में भी है
गम भी है... ख़ुशी भी।.....
क्युंकी 

मिटटी को  जितना पकड़ो उतना फिसलती है
हाथो की लकीरे हर वक़्त बदलती है
खुशनुमा सा होता है वक़्त जब भी
उसी  मोड़ पर जिंदगी रुख बदलती है....

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